स्त्री बन्ध्यत्व (बाँझपन ) uterine cancer

स्त्री बन्ध्यत्व (बाँझपन )
———
आयुर्वेद विज्ञान का मानना है की Male infertility नही होता है —यजुर्वेद
शुक्राणुहीनता Azoospermis – हो तो Test – biopsy test of a testicle..अगर परिणाम negetive हो ( Nil )
तो आप धैर्ज के साथ नील शुक्राणु या नील अल्पता का उपचार आयुर्वेद में उपल्बध है उपचार करायें ।
ध्यान दें —
——नोट — मैने यजुर्वेद के माध्यम से अभी तक नि: सन्तान (दम्पती ) जोड़ी को 71 औलाद प्राप्त कराया हुँ ।—–

—- —-आज संतानहीनता की समस्या बहुत बढ़ गई है
यही कारण है की आज पुरे देश में संतानहीनता से मुक्ति दिलाने वाले आज कई इन्फट्रिलिटी केन्द्र (infertility center)एवं क्लिनिक संचालित हो रहे है
————-
हमारे देश में सभी लोगों की माली स्थिति इस तरह नही है की वे इन केन्द्रों द्वारा इस समस्या के निराकरण के लिए की जाने वाली जॉंच व चिकित्सा प्रक्रियाओं में लगने वाला खर्च वहन कर सकें ।

——दुसरा महत्वपूर्ण- है — कई बार या बार बार इस आधुनिक चिकित्सा प्रणाली कुछ लोगों पर सफल नहीं होती है ।

एक तो महंगी चिकित्सा पद्धति है , दुसरा मोटे पैसा खर्च करने पर भी सफलता नही मिलना दुखद होता है ।

——-कभी कभी 4 या 5 माह का गर्भ धारण करने के बाद भी खराब हो जाता है , जिससे गर्भ धारण करने वाली महिला के स्वास्थय पर प्रतिकूल बुरा प्रभाव पड़ता है ।

तीसरा—— गर्भ धारण में सफलता मिल गई । पुत्र या पुत्री की प्राप्ति हुई । तो नजदीक के रिस्तेदार या भारतीय ग्रामीण लोग इसे अच्छा नही मानते हैं । माना जाता है की वर्तमान पिता का यह औलाद नही है । वर्ण शंकर तक की उपाधि या अभद्र भाषा का प्रयोग किया जाता है ।
——पिता पर कामेच्छा का ना होने का आरोप लग जाता है । हालांकि यह गर्भ धारण प्रक्रिया गुप्त रुप से कराया जाता है । फिर भी रिस्तेदारों की जानकारी में आ जाती है ।
—- मै व्यक्तिगत रुप से इस गर्भ धारण प्रक्रिया को नैतिक समर्थन करता हुँ ।
चोथा — जब इस प्रक्रिया के द्वारा गर्भ धारण से प्राप्त पुत्र और पुत्री वयस्क होते है । तो उनको जानकारी मिल जाती है की वर्तमान पिता मेरे biological father नही है । इससे पिता और पुत्र या पुत्री में हमेशा सन्देह और आशंका बनी रहती है ।

मातृत्व सुख एक इस प्रकार की उपलब्धि है ।जिससे कोई भी स्त्री वंचित रहना नही चाहती है ।स्त्री जीवन के लिये संतानहीनता सदैव ही सबसे बड़ा अभिशाप रहा है ।
— — स्त्री के बाँझ यानी संतानहीनता में 50 प्रतिशत योगदान पुरुष का होता है ।पर संतानोत्पत्ति नही होने की सर्वाधिक पीड़ा और दोषारोपण सदैव ही स्त्री के उपर लगया जाता रहा है ।
— वही धर्म शास्त्र पूर्व जन्मों के संचित पाप कर्मो का कारण मानते है ।

—- कई बार हमने देखा है – जाँच में स्त्री और पुरुष दोनों निर्दोष सिद्व होने के बाद भी गर्व नही ठहरता है ।

मै व्यतिगत रुप से भारतीय सस्कृति और सभ्यता में विश्वास रखता हुँ ।
मैने इस प्रकार के कई उदहारण देखे हैं जो किसी चमत्कार से कम नहीं है ।
मै निरन्तर नि: सन्तान दम्पतियों को प्रेरित करता हुँ आप प्रयास करते रहे ।
— मेरा मानना है कि कुछ चिकित्सक के स्वयं के संचित पुण्य कर्म होते है ।गम्भीर रुप से उपचार करते है उनके कुन्डली में यश की प्राप्ति योग होता है ।

फलस्वरुप जिस दम्पती को आधुनिक चिकित्सकीय प्रक्रिया पुर्ण बन्धत्व मानकर उपचार नही करती ,

उस प्रकार के अभी तक 6 दम्पती है जिनकी मेरे आयुर्वेद उपचार पद्वति से औलाद प्राप्त हुआ ।

वे लोग मुझे संत मानते है । मेरे हाथों का चमत्कार मानते हैं पर वास्तव में मेरे द्वारा किया गया गम्भीर उपचार और मेरे द्वारा दिये गये निर्देशों का पालन कर नि: सन्तान दम्पती औलाद सुख की प्राप्ति किये है

आर्युवेद के मतानुसार—
शुद्व व निर्दोष योनि गर्भाशय एवं आर्तव वाली स्त्री व शुद्व व निर्दोष शुक्राणु वाले पुरुष के मध्य जब ऋतुकाल या श्रुत काल के प्रारंभ के तीन दिन छोड़कर संसर्ग होता है तब गर्भाशय का मुख खुला रहता है और शुक्र – आर्तव का संयोग होता है और गर्भ की उत्पति होती है ।
गर्भ स्थापना की प्रक्रिया के कई चरण होते है ।
जिनमे से मुख्य –स्त्री में डिम्ब का उत्सर्जन यानी डिम्बोत्सर्जन ( ovulation )का नियत और निश्चित होना ।
2. डिम्ब (ovum) का डिम्बवाहिनी में गर्भाशय की ओर गति करना ।
3.डिम्बवाहिनी के गर्भाशय से जुड़े चौथे भाग (Ampulla) में शुक्राणु द्वारा डिम्ब का निषेचन (Fertilization) होना ।
4 . निषेचन डिम्ब का गर्भाशय की आन्तरिक परत में ठीक ढंग से रोपित (Implantation) होना ।

स्त्री या पुरुष में उत्पन्न किसी विकृती के चलते इन उपरोक्त मुख्य कारणों में से किसी का भी बाधित होना संतानहीनता यानी बन्ध्यत्व की स्थिति निर्मित करता है ।
वयस्क आयु के पति – पत्नी द्वारा 6 माह के प्रयास के बाद भी गर्भावस्था न हो तो इसे बन्ध्यत्व यानी sterility या Infertility कहा जाता है ।।
स्त्रियों में बन्धत्व दो प्रकार का होता है ।
1 . स्थाई और दुसरा – अस्थाई ।

—–
स्त्रियों की बन्धत्व दुर किया जा सकता है , और इसमें 99 प्रतिशत हमको सफलता मीली है ।
कई स्त्रियों में डिंबाशय में डिम्ब उत्पन्न ही नही होता पर उत्सर्जित नही होता या होता है पर अनियमित होता है ।
हार्मोन के असन्तुलन के कारण रोग की उत्पत्ति होती है जिसे पाली सीस्टिक ओवेरियन डिजीज ( polycystic ovarian disease ) कहते है ।
कारण- मूल आहार में पोषक तत्वों की कमी , प्रदुषित आहार व अनियमित जीवनशैली
कई बार यह भी देखने में मिला है की बिना स्पष्ट कारण के डिंबाशय अपना समान्य कार्य करने में असर्मथ हो जाता है और डिम्ब का उत्सर्जन होना बन्द हो जाता है । इसे प्रायमरी ओवेरियन इन्सफिसीएन्सी कहते है ।
Pelvic inflammatory diseases के कारण डिम्ब वहिनिया का अवरुद्ध होना ।
गर्भाशय में गाँठ (Fibroids )योनि मार्ग में संक्रमण , एंडीमेट्रिओसीस गर्भाशय में संक्रमण शोथ या संरचना की विकृती होना ।
मसीक धर्म की समस्या – अनियमित होना , बहुत कष्ट के साथ मसीक स्राव हो , रंग कला हो , कुछ छोटा छोटा टुकड़ा कट कर गिर रहा हो तो गर्भ धारण नही होता ।
वैध बन्धु ध्यान दें — उपरोक्त योनि रोग में वर्णित कारणों – उदार्वता, रुधिरक्षारा वमिनी स्रावसीनि
की उपचार पहले कर लेना चाहिये ।
और विस्तार से हम समय और लेख बड़ा होने के कारण नही लिख सकता हूँ ।
आप लोग हमसे सम्पर्क कर सलाह ले सकते है ।

ध्यान रखे – प्रजनन अंगों से सम्बन्धित विकार डिम्ब वहिनिया , गर्भाशय व योनि आदी से सम्बन्धित विकार भी अस्थाई बन्धत्व का कारण बनता है ।

दम्पती की उम्र सीमा- पूर्व में 30 से 40 साल की आयु की उपचार सम्भव था ।क्योकी डिम्बाशय की डिम्ब उत्सर्जन की क्षमता कम हो जाती है ।लेकिन अब
डिम्बग्रंथि की समुचित रूप से उपचार कर अन्तिम सीमा 40 को 43या 45 तक की जा सकती है ।

पाठक गाण- संतान हीनता यानी औलाद की सुख प्राप्ति नही होना – जो लोग इस प्रकार के रोग से पीड़ित हो
या
गर्भाधान में सक्षम नहीं होना ।
या
बच्चेदानी का cancer , गर्भाशय में गाँठ का होना ।
आयूर्वेद के माध्यम से निर्दोष औषधियों द्वारा समुचित उपचार कराकर लाभ ले सकते है ।
—पुरा विवरण विस्तार से नही लिख सकता हुँ ।

हाँ समान्य ओषधि का वर्णन कर देता हुँ ।
——————————————-
लेकिन बिना वैध के उपचार सुरक्षित नहीं होता ।
————
पुरुष के लिए–
Nil sperms- 1. Spcman 2×2 day – night
2 . Shatavari — 1 spoon day – night
4. Ashvgandha churn – 1spoon ×2
या लिक्विड हो – 2 spoon medi.+ 2 spoon water with mix day – night
या Tablet , capsul – 2 ×2 take 2 cap × 2 with take milk
5. Musli pak ( saphed musli ) – 1 spoon × 2 day – night with milk
6. Svarn vangeshvar Ras — 2 T ×2 with water

—Bhasma — Gilistv +praval pishti + svarn bang bhashma + tapyadi loha + abhrak bhasma – all 3 gram + svarn bhasm – 500 mg – all medi.mix 15 पूरीया बना लें
एक पूरीया केवल बेड टाईम with Drakxav 2 spoon + 2 spoon water mix take it .

महिला के लिए
—–
1.Drakshasava — 2 spoon + 2 spoon water mix day – night
2.shatavari — 2 Spoon ×2 with water day night
3. Ashavvandharisht – Dasmularist with mix take it day -night
4. Ark makoh – 2spoon + 2spoon water day – night
5. Mahavari cap – 1 cap ×2 day – night ( केवल 30 दिन तक लें ) बीच में मसीक स्राव होने पर 3 दिन नही लें । फिर 4 था दिन से लें
6 – -Bhasma — vaikrant bhasm +shingru bhasm + svarn makxik bhasma + mandur bhasm + Gilosatv + bang bhasma — all 3 gram + swarn bhasm 1 gram ( 500mg + 500 mg)
With Got milk take it .

अगर इलाज करना है – बाँझपन , नि: सन्तान दम्पती मिले ।
बच्चेदानी का कैंसर , चेस्ट कैंसर
—-
समय रहते आयुर्वेद के मध्यम ( पंचक्रमा) निर्दोष औषधियों के द्वारा सफल उपचार ( इलाज ) करायें ।

Not.– Sitting at home through video call, showing the patient, showing the test, can ask for the full course of medicine.

सम्पर्क सूत्र- Dr. U.Kumar 

BAMS , MD BHU Vvaransi 

oncologist.

Mobile- 8294088919

singhumesh64305@gmail.com

Dr.u.kumar द्वारा प्रकाशित

Dr.uk BAMS M.D( drvygun)B.H.U

टिप्पणी करे

Design a site like this with WordPress.com
प्रारंभ करें